वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की है। यह कदम भारत को ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आइए जानते हैं कि बजट 2025 में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए क्या खास है और यह भारत के भविष्य को कैसे बदलेगा।
1. घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा
सरकार ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए कई टैक्स छूटों की घोषणा की है। इसमें कोबाल्ट पाउडर, जिंक, लेड, लिथियम-आयन बैटरी अवशेष और अन्य खनिजों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) से छूट शामिल है। यह कदम ईवी बैटरी निर्माण की लागत को कम करेगा, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमतों में भी कमी आएगी।
2. ईवी बैटरी उत्पादन को प्रोत्साहन
बजट 2025 में ईवी बैटरी उत्पादन के लिए 35 और मोबाइल फोन बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 28 अतिरिक्त चीजों को छूट प्राप्त कैपिटल गुड्स की सूची में शामिल किया गया है। इससे स्थानीय सप्लाई चेन को मजबूती मिलेगी और भारत ग्रीन एनर्जी तथा डिजिटल डिवाइस उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।
3. ‘मेक इन इंडिया’ को मिला समर्थन
टाटा मोटर्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ के अनुसार, बजट 2025 भारत को ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के करीब ले जाने वाला एक रोडमैप तैयार करता है। कैपिटल एक्सपेंडिचर में 11 लाख करोड़ रुपए से अधिक का आवंटन और कंजम्पशन को बढ़ावा देने वाली पहलें ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती प्रदान करेंगी।
4. ग्लोबल ईवी हब बनेगा भारत
बैक्सी मोबिलिटी के वाइस प्रेजिडेंट नवीथ मेनन ने कहा कि लिथियम-आयन बैटरी मैन्युफैक्चरिंग पर टैक्स छूट से भारत ईवी उत्पादन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा। यह कदम कार्बन उत्सर्जन को कम करने और भारत को ग्रीन इकॉनमी की ओर ले जाने में भी मदद करेगा।
5. इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को बढ़ावा
बजट 2025 में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर जोर दिया गया है। बेहतर सड़कें, कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स घरेलू मांग और आर्थिक सुधार को गति देंगे। इससे माल और कमर्शियल व्हीकल्स की मांग में भी वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
बजट 2025 में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को मिले बढ़ावे से भारत न केवल ग्रीन एनर्जी और ईवी उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लक्ष्यों को भी पूरा करेगा।